फादर बुल्के और मन्नू भंडारी: भारतीय संस्कृति, व्यक्तित्व और वैचारिक संघर्ष

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1. फादर बुल्के भारतीयता में पूरी तरह रच-बस गए। ऐसा उनके जीवन में कैसे संभव हुआ होगा? अपने विचार लिखिए।

फादर बुल्के निश्चित रूप से प्रबुद्ध व्यक्ति थे। भारत आकर यहाँ की संस्कृति को जानने की उनकी उत्कंठा रही होगी, इसलिए उन्होंने हिंदी और संस्कृत की शिक्षा ग्रहण की और साहित्य का अध्ययन किया। यहाँ स्थान-स्थान पर बिखरी हुई भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर वे उसी राह पर चल पड़े। भगवान राम के चरित्र से प्रभावित होकर उन्होंने उसी विषय पर शोध किया। अतः स्पष्ट है कि फादर बुल्के भारतीयता में पूरी तरह रच-बस गए।

2. मन्नू भंडारी के व्यक्तित्व में उनके पिताजी का क्या प्रभाव दिखाई पड़ता है?

मन्नू भंडारी के व्यक्तित्व में पिताजी की अनेक अच्छाइयों और बुराइयों ने प्रवेश पा लिया था। पिताजी द्वारा बड़ी और गोरी बहन सुशीला की प्रशंसा करने के कारण उनके भीतर गहराई में हीन ग्रंथि ने जन्म ले लिया था। इस हीन भावना और कुंठा ने उनके आत्मविश्वास को हिला कर रख दिया था। पिताजी ने ही उनके मन में देशप्रेम की भावना जगाई थी।

3. ‘एक कहानी यह भी’ पाठ के आधार पर मन्नू भंडारी के कॉलेज से शिकायती पत्र आने पर भी उनके पिता उनसे नाराज़ क्यों नहीं हुए?

कॉलेज में लेखिका ने कॉलेज प्रबंधन समिति के विरुद्ध जाकर जो भी कार्य किए, वे देश की स्वतंत्रता के लिए थे। उनके पिता भी यही चाहते थे कि लेखिका देश की आज़ादी के लिए कार्य करें, इसलिए कॉलेज से शिकायती पत्र आने पर भी उनके पिता उनसे नाराज़ नहीं हुए।

4. लेखिका मन्नू भंडारी का अपने पिता से वैचारिक टकराहट का सिलसिला कब से और क्यों चला?

पिताजी से लेखिका की वैचारिक टकराहट तो उनके होश संभालने से ही शुरू हो गई थी। उनके पिताजी उन्हें देश और समाज के प्रति जागरूक तो बनाना चाहते थे, पर घर की चारदीवारी में सीमित रहकर। लेखिका के लिए किसी की दी हुई आज़ादी के दायरे में चलना कठिन था। वे नहीं चाहते थे कि लेखिका लड़कों के साथ सड़कों पर हड़तालें करवाए और नारे लगाए। अतः लेखिका ने अपने पिता के विरुद्ध जाकर यह सब किया। वे नहीं चाहती थीं कि उनकी स्वतंत्रता को पिता के द्वारा इतना संकुचित कर दिया जाए कि उनका दम घुटने लगे। राजेंद्र यादव से अपनी मर्ज़ी से विवाह करना भी पिता के साथ वैचारिक टकराहट का ही परिणाम था।

5. ‘एक कहानी यह भी’ पाठ में पिताजी के शक्की स्वभाव की लेखिका पर क्या प्रतिक्रिया हुई? बताइए।

पिता के शक्की स्वभाव का लेखिका पर यह प्रभाव पड़ा कि वे भी शक्की स्वभाव की हो गई थीं। इस कारण अपनी उपलब्धियों पर वे विश्वास ही नहीं कर पाती थीं, उन्हें लगता था कि उपलब्धि मिलना तो तुक्का लगना था। इस स्वभाव के कारण उनका विश्वास टूटकर उनके दुख को बढ़ाता रहता था।

6. ‘पड़ोस कल्चर’ छूट जाने से आज की पीढ़ी को क्या हानि हुई है-‘एक कहानी यह भी’ पाठ में लिखित इस कथन को स्पष्ट करें।

पड़ोस कल्चर मनुष्य के जीवन में अहम भूमिका निभाता है। सहानुभूति और सहयोग की भावना का उदय पड़ोस से ही होता है। ‘पड़ोस कल्चर’ छूट जाने से आज की पीढ़ी को यह हानि हुई है कि वह संस्कारहीन होती जा रही है। इसके साथ ही आपसी संबंधों में भी आत्मीयता का अभाव हो गया है।

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